मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।
Lord, once the ocean was churned along with the deadly poison emerged, out of one's deep compassion for all, You drank the poison and saved the world from destruction. Your throat became blue, Therefore That you are generally known as Nilakantha.
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
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स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥
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